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मैं लब-ए-शिख़वा को सी लेता हूं.. चंद घड़ियां हैं, यूहीं जी लेता हूं.. मग़र एक बार समझ लेता हूं किसी दोस्त का हाथ फ़िर उस हाथ से ज़हर भी पी लेता हूं.. ©Aditya Bhardwaj
Aditya Bhardwaj
6 Love
मैं जिसे ओढ़ता-बिछाता हूं वो गज़ल आपको सुनाता हूं एक समंदर है तेरी आखों में.. जहां मैं सब भूल जाता हूं तू किसी रेल-सी गुज़रती है.. मैं किसी पुल-सा थरथराता हूं !! ©Aditya Bhardwaj
8 Love
यूं ना उंगलियां सब पर उठाया करो.. खर्च करने से पहले कमाया करो.. ज़िंदगी क्या है ख़ुद समझ जाओगे बारिशों में पतंगे उड़ाया करो.. ©Aditya Bhardwaj
7 Love
कुछ इस तरह तेरे-मेरे रिश्ते ने आख़री सांस ली.. ना मैंने पलट कर देखा, ना तूने आवाज़ दी.. ©Aditya Bhardwaj
9 Love
ख़तों में भी अब झूठी कैफ़ियत लिख लेते हैं.. कांपते हाथों से हम "सब खैरियत" लिख लेते हैं.. ©Aditya Bhardwaj
इस नदी की धार में, ठंडी हवा आती तो है.. नांव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है.. बस एक चिंगारी कहीं से ढूँढ लाओ, इस दिल में तेल से भीगी बाती तो है.. ©Aditya Bhardwaj
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