प्रिय तुम मेरे गीतों की प्रेम धुन बन जाना

"प्रिय तुम मेरे गीतों की प्रेम धुन बन जाना सुन मेरी गीत धुन तुम मन ही मन मुस्काना दोहों छंदो और गीतों में प्रेम की बूंदे जो गिरती हैं बसंत फागुन सावन की फुहार मैने तुमको है माना लेखनी संग कल्पना भी बलखा के मुस्काती है रच वसुधा के गीतों में देख तुमको है शरमाना ,Dr Vassundhara Rai"

 प्रिय तुम मेरे गीतों  की  प्रेम धुन  बन जाना
      सुन मेरी गीत धुन तुम मन ही मन  मुस्काना
दोहों छंदो और गीतों में प्रेम की बूंदे जो गिरती हैं
       बसंत फागुन सावन की फुहार मैने तुमको है माना 
लेखनी संग कल्पना भी बलखा के मुस्काती है 
        रच वसुधा के गीतों में देख तुमको है शरमाना
,Dr Vassundhara Rai

प्रिय तुम मेरे गीतों की प्रेम धुन बन जाना सुन मेरी गीत धुन तुम मन ही मन मुस्काना दोहों छंदो और गीतों में प्रेम की बूंदे जो गिरती हैं बसंत फागुन सावन की फुहार मैने तुमको है माना लेखनी संग कल्पना भी बलखा के मुस्काती है रच वसुधा के गीतों में देख तुमको है शरमाना ,Dr Vassundhara Rai

प्रिय तुम मेरे गीतों की प्रेम धुन बन जाना
सुन मेरी गीत धुन तुम मन ही मन मुस्काना
दोहों छंदो और गीतों में प्रेम की बूंदे जो गिरती हैं
बसंत फागुन सावन की फुहार मैने तुमको है
माना
लेखनी संग कल्पना भी बलखा के मुस्काती है
रच वसुधा के गीतों में देख तुमको है शरमाना

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