थका हारा जब जब तू दफ्तर से घर आता है
मुश्किलोमे, संकटोमें जब जब तू घिर जाता हैं ।
ऐसे में क्या करे तब कुछ समझ नहीं आता है
आंख से आसू बहता हैं और पापा याद आता है।।
जिम्मेदारियों का बोझ जब जब सरपें आता हैं
कोशिशोंके बावजूद भी तू संभाल नहीं पाता है।
अकेलेपनका अहसास जब जब तुझे सताता है
आंख से आसू बहता है और पापा याद आता है।।
अनिल
©Anil Sapkal
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