आओ तुमको सुनाऊँ कहानी सुनो
हुई मैं भी किसी की दीवानी सुनो
रात आधी गई,बात आधी गई
बेबसी न मेरी मुझसे साधी गई
लिख रही हूँ कलम की जुबानी सुनो
हुई मैं भी किसी की दीवानी सुनो
लफ़्ज़ ही कम पड़े जब सुनाने चले
वो न माना हम जब जब मनाने चले
फिर हुई अश्क़ों की रवानी सुनो
हुई मैं भी किसी की दीवानी सुनो
मेरी कलम से मेरे जज़्बात
shanu sharma
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