दिल में बसा था कोई सपनों में हंसा था कोई बिजलियां

"दिल में बसा था कोई सपनों में हंसा था कोई बिजलियां देह पर गिराता, रुप का नशा था कोई। चांद को छूने की तमन्ना थी, ठीक उसके ही जैसा था कोई। कृष्ण चतुर्वेदी"

 दिल में बसा था कोई
सपनों में हंसा था कोई
बिजलियां देह पर गिराता,
रुप का नशा था कोई।
चांद को छूने की तमन्ना थी,
ठीक उसके ही जैसा था कोई।

कृष्ण चतुर्वेदी

दिल में बसा था कोई सपनों में हंसा था कोई बिजलियां देह पर गिराता, रुप का नशा था कोई। चांद को छूने की तमन्ना थी, ठीक उसके ही जैसा था कोई। कृष्ण चतुर्वेदी

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