नज्म सच्च बोलती
किसी ने पूछा मुझे से
की इस चतुर,चालाक जमाने में
कैसे जी पा रहे हो
तो हमनें कहा
जैसे
कांटों में गुलाब
महखाने में शराब
मौन में जवाब
पैरों में जुराब
ओर सच पूछो तो इंसानियत में खराब
इसलिए जी पा रहे हैं साहब...2
रूपसिंह गुर्जर
©Roopsingh Gurjar
सच बोलती नज़्म