White *प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं* *********** | हिंदी शायरी

"White *प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं* ***************************** प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं, मेल की बेल चढी जो गिरती नहीं। रात-दिन याद सताये हर पल-पहर, चैन की रैन कभी भी चढ़ती नहीं। देख लो जान चढ़ी सूली इस कदर, नेह की खैर सभी को मिलती नहीं। नैन से नीर गिरा झट से जम गया, रेत के ढेर जमी , रज उड़ती नहीं। जान से हाथ धुला मनसीरत गया, खेल में जेल मिली जो कटती नहीं। ***************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh"

 White *प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
*****************************
 
प्रेम की  रेल  कभी भी रुकती नहीं,
मेल  की  बेल चढी जो गिरती नहीं।

रात-दिन याद सताये हर पल-पहर,
चैन की  रैन कभी  भी चढ़ती नहीं।

देख लो  जान चढ़ी सूली इस कदर,
नेह की खैर  सभी को मिलती नहीं।

नैन से नीर  गिरा  झट से जम गया,
रेत  के  ढेर जमी , रज उड़ती नहीं।

जान  से  हाथ धुला मनसीरत गया,
खेल में  जेल मिली जो कटती नहीं।
*****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत 
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

White *प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं* ***************************** प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं, मेल की बेल चढी जो गिरती नहीं। रात-दिन याद सताये हर पल-पहर, चैन की रैन कभी भी चढ़ती नहीं। देख लो जान चढ़ी सूली इस कदर, नेह की खैर सभी को मिलती नहीं। नैन से नीर गिरा झट से जम गया, रेत के ढेर जमी , रज उड़ती नहीं। जान से हाथ धुला मनसीरत गया, खेल में जेल मिली जो कटती नहीं। ***************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

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