Sukhvinder Singh

Sukhvinder Singh

सुखविंद्र सिंह मनसीरत,कवि,लेखक,समीक्षक,गीतकार,गायक,नृत्यक हरियाणा सरकार के अंतर्गत शिक्षा विभाग में अंग्रेजी प्रवक्ता,

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White **पावन पर्व दशहरा (चौपाई)** ************************* पावन पर्व दशहरा आया। खुशियों की झोली भर लाया।। छल – बल रावण सीता छीनी। सती सावित्री अबला दुख दीनी।। लंका पर थी चढ़ी चढ़ाई। सुर – असुर मध्य शुरू लड़ाई।। युद्ध में रावण मार गिराया। सीता का राम ने छुड़ाया।। जन - गण - मन खुशी हुई भारी। दशरथ सूत् पर सब बलिहारी।। पाप - पुण्य पर था अति भारा। सत्य समक्ष असत्य था हारा।। तब से रीत चली यह आई। अच्छाई ही जीतती आई।। आश्विन में शुक्ल। पक्ष आये। विजयदशमी का पर्व है आये।। महिषासुर शीश दुर्गा ने काटा। सुख – समृद्धि का प्रसाद बांटा। रावण – दहन के पुतले जलते। अत्याचारी सदा ही हरते।। आपस में बांटते मिठाई। जन – जन को हो लाख बधाई।। मनसीरत मन बहुत प्रफुल्लित। मुखमण्डल हर्षित हो पुलकित।। ***************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

#शायरी #Dussehra  White **पावन पर्व दशहरा (चौपाई)**
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पावन   पर्व    दशहरा    आया।
खुशियों की  झोली  भर  लाया।।

छल – बल रावण  सीता  छीनी।
सती सावित्री  अबला दुख दीनी।।

लंका    पर   थी    चढ़ी   चढ़ाई।
सुर – असुर  मध्य  शुरू  लड़ाई।।

युद्ध   में   रावण   मार   गिराया।
सीता   का    राम    ने   छुड़ाया।।

जन - गण - मन खुशी हुई भारी।
दशरथ  सूत्  पर  सब बलिहारी।।

पाप - पुण्य  पर  था  अति भारा।
सत्य  समक्ष  असत्य  था    हारा।।

तब   से   रीत  चली   यह   आई।
अच्छाई     ही    जीतती     आई।।

आश्विन  में   शुक्ल।  पक्ष    आये।
विजयदशमी   का  पर्व  है   आये।।

महिषासुर  शीश   दुर्गा  ने   काटा।
सुख – समृद्धि  का  प्रसाद   बांटा।

रावण  –  दहन  के  पुतले  जलते।
अत्याचारी     सदा     ही     हरते।।

आपस       में    बांटते     मिठाई।
जन  –  जन  को  हो लाख बधाई।।

मनसीरत  मन   बहुत   प्रफुल्लित।
मुखमण्डल  हर्षित  हो    पुलकित।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

#Dussehra

16 Love

White * फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब * *************************** फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब है, परियों सी सुंदर हूर मेरी महबूब है। चढ़ जाए इश्क़िया रंग तन-मन में, इश्क के नशे में चूर मेरी महबूब है। अखियों में छाई सूरत वो मूरत सी, एक पल भी न दूर मेरी महबूब है। अंग-अंग महकता है ख़ुश्बो भरा, यौवन से भरा तंदूर मेरी महबूब है। पी लूं होठों से जाम मोहब्बत का, रसभरी जैसे अंगूर मेरी महबूब है। नशीली निगाहें बहकाती है पथ से, मेरे जीने का गुरूर मेरी महबूब है। मनसीरत प्यारी दुलारी है हसीना, फूलों लदी भरपूर मेरी महबूब है। ************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

#शायरी #Dussehra  White * फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब *
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फ़लक से उतरी नूर मेरी महबूब है,
परियों सी सुंदर हूर मेरी महबूब है।

चढ़ जाए  इश्क़िया रंग तन-मन में,
इश्क के नशे में चूर मेरी महबूब है।

अखियों में छाई सूरत वो मूरत सी,
एक पल  भी न दूर मेरी महबूब है।

अंग-अंग  महकता है ख़ुश्बो भरा,
यौवन से भरा तंदूर मेरी महबूब है।

पी लूं  होठों से जाम मोहब्बत का,
रसभरी जैसे अंगूर मेरी महबूब है।

नशीली निगाहें बहकाती है पथ से,
मेरे जीने  का गुरूर मेरी महबूब है।

मनसीरत प्यारी दुलारी है हसीना,
फूलों लदी भरपूर  मेरी महबूब है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

#Dussehra

13 Love

*होठ नहीं नशीले जाम है* *********************** पी लेने दो गुलाबी होठों को, ये होठ नहीं नशीले जाम हैँ। मिलते हैँ नसीबों वालो को, इनका नहीं कोई भी दाम है। खोया हूँ मै इनकी कुर्बत में, बाकी नहीं बकाया काम है। जिंदगी से कोसों दूर हुआ, लबों पे सदा उनका नाम है। मनसीरत मन फिरंगी हुआ, सुंदर नगरी प्रेम का धाम है। *********************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेडी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

#शायरी #navratri  *होठ  नहीं  नशीले जाम है*
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पी लेने दो गुलाबी होठों को,
ये होठ नहीं नशीले जाम हैँ।

मिलते  हैँ नसीबों वालो को,
इनका नहीं कोई भी दाम है।

खोया हूँ मै इनकी कुर्बत में,
बाकी नहीं बकाया काम है।

जिंदगी  से  कोसों दूर हुआ,
लबों पे सदा उनका नाम है।

मनसीरत मन फिरंगी हुआ,
सुंदर नगरी प्रेम का धाम है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत 
खेडी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

#navratri

16 Love

White *प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं* ***************************** प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं, मेल की बेल चढी जो गिरती नहीं। रात-दिन याद सताये हर पल-पहर, चैन की रैन कभी भी चढ़ती नहीं। देख लो जान चढ़ी सूली इस कदर, नेह की खैर सभी को मिलती नहीं। नैन से नीर गिरा झट से जम गया, रेत के ढेर जमी , रज उड़ती नहीं। जान से हाथ धुला मनसीरत गया, खेल में जेल मिली जो कटती नहीं। ***************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

#शायरी #Ratan_Tata  White *प्रेम की रेल कभी भी रुकती नहीं*
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प्रेम की  रेल  कभी भी रुकती नहीं,
मेल  की  बेल चढी जो गिरती नहीं।

रात-दिन याद सताये हर पल-पहर,
चैन की  रैन कभी  भी चढ़ती नहीं।

देख लो  जान चढ़ी सूली इस कदर,
नेह की खैर  सभी को मिलती नहीं।

नैन से नीर  गिरा  झट से जम गया,
रेत  के  ढेर जमी , रज उड़ती नहीं।

जान  से  हाथ धुला मनसीरत गया,
खेल में  जेल मिली जो कटती नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत 
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

#Ratan_Tata

10 Love

*खुद पर थोड़ी दया कर* ********************* खुद पर थोड़ी दया कर, सच को थोड़ा बया कर। बेशरमी क्यों सिर बांधी, बेगैरत मत हया कर। भूली बिसरी कहानी, बातें आया गया कर। बीते पल कुछ भी न देंगे, कुछ तो थोड़ा नया कर। मनसीरत जान मन की, मन से मन की जया कर। ********************* सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

#शायरी #navratri  *खुद पर थोड़ी दया कर*
*********************
खुद  पर  थोड़ी दया कर,
सच को  थोड़ा बया कर।

बेशरमी क्यों  सिर बांधी,
बेगैरत  मत   हया  कर।

भूली   बिसरी   कहानी,
बातें   आया  गया  कर।

बीते पल कुछ भी न देंगे,
कुछ तो  थोड़ा नया कर।

मनसीरत  जान  मन की,
मन से मन की जया कर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत 
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

#navratri

9 Love

White **** गहरी नींद सुला दिया ***** *************************** सपनों को गहरी नींद सुला दिया, तारों को महफ़िल में बुला लिया। रात चाँदनी सितारों भरी बारात है। चाँद सी दुल्हन से था मिला दिया। सूर्य की गर्मी से लथपथ तन बदन, हवा के झोंकों ने सारा सूखा दिया। चाँदी सी चमकती ओस की बूंदें, धरती की चादर को चमका दिया। परियों सी शहजादी का था गमन, कलेजे पर भारी सितम ढा दिया। फूलों से हरी-भरी फुलवारी खिली, महक से घर-आंगन महका दिया। मनसीरत जुगनुओं की लोरियों से, मधु सा मधुर शरबत पिला दिया। ************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

#शायरी #sad_quotes  White **** गहरी नींद सुला दिया *****
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सपनों को  गहरी  नींद सुला दिया,
तारों को  महफ़िल में  बुला लिया।

रात चाँदनी सितारों भरी बारात है।
चाँद  सी दुल्हन से था मिला दिया।

सूर्य की गर्मी से लथपथ तन बदन,
हवा के झोंकों ने सारा सूखा दिया।

चाँदी सी  चमकती  ओस की बूंदें,
धरती की चादर को चमका दिया।

परियों सी शहजादी का था गमन,
कलेजे पर  भारी सितम ढा दिया।

फूलों से हरी-भरी फुलवारी खिली,
महक से घर-आंगन  महका दिया।

मनसीरत जुगनुओं की लोरियों से,
मधु सा  मधुर  शरबत पिला दिया।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

#sad_quotes

12 Love

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