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White कभी भी दुःख का आप पर पड़े ना साया, राम जी के नाम का ऐसा असर हैं छाया। हर पल धन धन्य आये आपके अंगना, हैं वियजदशमी पर मेरी यहीं मनोकामना। ©The Kane

#शायरी #Dussehra  White कभी भी दुःख का आप पर पड़े ना साया, राम जी के नाम का ऐसा असर हैं छाया। हर पल धन धन्य आये आपके अंगना, हैं वियजदशमी पर मेरी यहीं मनोकामना।

©The Kane

#Dussehra

2 Love

White सतयुग में बस एक था रावण, कलयुग में हर एक में रावण, सुपर्णखा की गलती न दिखी, लगा यूं कि बहन का तिरस्कार है हुआ, षडयंत्र बनाया मामा मारीच के साथ, सोने का हिरण बनने का रखा प्रस्ताव, मुग्ध हो गई सीता मैया, लाओ हिरण तुम लक्ष्मण भैया, इसी बीच रावण आया, साधु का भेष बनाया भिक्षा के इन्कार से रूठा, सीता को अपनी लंका ले आया, सीता को जिसने न छुआ, फिर भी, उसके साथ गलत हुआ, सज़ा का भोगी रावण बना, सोने का महल राख का ढेर बना, अपने अंदर का अहम है रावण, बुरा जो करे, वह है रावण, सतयुग में बस एक था रावण, कलयुग में हर एक में रावण..!! - Kiran Verma ✍🏻 ❤️ 🧿 ©ख्वाहिश _writes

#Dussehra #Quotes  White सतयुग में बस एक था रावण, 
कलयुग में हर एक में रावण, 
सुपर्णखा की गलती न दिखी, 
 लगा यूं कि बहन का तिरस्कार है हुआ, 
षडयंत्र बनाया मामा मारीच के साथ, 
सोने का हिरण बनने का रखा प्रस्ताव, 
मुग्ध हो गई सीता मैया,
लाओ हिरण तुम लक्ष्मण भैया,
इसी बीच रावण आया, 
साधु का भेष बनाया 
भिक्षा के इन्कार से रूठा, 
सीता को अपनी लंका ले आया,
सीता को जिसने न छुआ, 
फिर भी, उसके साथ गलत हुआ, 
सज़ा का भोगी रावण बना, 
सोने का महल राख का ढेर बना, 
अपने अंदर का अहम है रावण, 
बुरा जो करे, वह है रावण,
सतयुग में बस एक था रावण, 
कलयुग में हर एक में रावण..!!

- Kiran Verma ✍🏻 ❤️ 🧿

©ख्वाहिश _writes

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5 Love

White आज के समय में विजय दशमी का पर्व फीका हो गया है क्योंकि अच्छाई को बुराई जिंदा ही नहीं रहने देती। जिस दिन दुष्ट, अधर्मी, पापियों को तुरंत ही उनके कुकर्मों की सजा दी जाने की प्रथा शुरू हो जायेगी। उस दिन दशहरा पर्व का मनाया जाना सार्थक हो जाएगा। ©SONGWRITER DURGA KRISHNA

#Dussehra #Quotes  White आज के समय में विजय दशमी का पर्व फीका हो गया है क्योंकि  अच्छाई को बुराई जिंदा ही नहीं रहने देती।
जिस दिन दुष्ट, अधर्मी, पापियों  को तुरंत ही उनके कुकर्मों की सजा दी जाने की प्रथा शुरू हो जायेगी।
उस दिन दशहरा पर्व का मनाया जाना सार्थक हो जाएगा।

©SONGWRITER DURGA KRISHNA

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6 Love

White रावण देखा भीड़ जब ,किया विहँस कर प्रश्न । मुझे फूँककर आप सब , मना लीजिए जश्न ॥ मना लीजिए जश्न , प्रश्न का देकर उत्तर । पुरुषोत्तम श्री राम , हृदय में किसके भीतर ॥ लेना तीली हाथ ,राममय होना जिस क्षण । 'किशन ' भीड़ के मध्य ,विहँस कर बोला रावण ॥ जय श्री कृष्ण कृष्ण कुमार मिश्र 'किशन ' खरचौला , बाँसी - सिद्धार्थनगर ( उ ० प्र ० ) ©krishna

#कविता #Dussehra  White रावण देखा भीड़ जब ,किया विहँस कर प्रश्न ।
मुझे फूँककर आप सब , मना लीजिए जश्न ॥
मना लीजिए जश्न , प्रश्न का देकर उत्तर ।
पुरुषोत्तम श्री राम , हृदय में  किसके भीतर ॥
लेना तीली हाथ ,राममय होना जिस क्षण ।
'किशन ' भीड़ के मध्य ,विहँस कर बोला रावण ॥
जय श्री कृष्ण
कृष्ण कुमार मिश्र 'किशन '
खरचौला , बाँसी - सिद्धार्थनगर ( उ ० प्र ० )

©krishna

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White रावण तो एक ही था, दस सिर वाला, यह तो सो शैतान है बैठे, चारो बाजार, रावण मर गया कर अहंकार देता गया संदेश, छोड़ देना अपने अंदर का रावण रूप ©Mrs Farida Rizwan Desar. Foram

#Motivational #Dussehra  White रावण तो एक ही था,
दस सिर वाला,
यह तो सो शैतान है बैठे,
चारो बाजार,
रावण  मर गया कर अहंकार 
देता गया संदेश,
छोड़ देना अपने अंदर का रावण रूप

©Mrs Farida Rizwan Desar. Foram

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9 Love

White **पावन पर्व दशहरा (चौपाई)** ************************* पावन पर्व दशहरा आया। खुशियों की झोली भर लाया।। छल – बल रावण सीता छीनी। सती सावित्री अबला दुख दीनी।। लंका पर थी चढ़ी चढ़ाई। सुर – असुर मध्य शुरू लड़ाई।। युद्ध में रावण मार गिराया। सीता का राम ने छुड़ाया।। जन - गण - मन खुशी हुई भारी। दशरथ सूत् पर सब बलिहारी।। पाप - पुण्य पर था अति भारा। सत्य समक्ष असत्य था हारा।। तब से रीत चली यह आई। अच्छाई ही जीतती आई।। आश्विन में शुक्ल। पक्ष आये। विजयदशमी का पर्व है आये।। महिषासुर शीश दुर्गा ने काटा। सुख – समृद्धि का प्रसाद बांटा। रावण – दहन के पुतले जलते। अत्याचारी सदा ही हरते।। आपस में बांटते मिठाई। जन – जन को हो लाख बधाई।। मनसीरत मन बहुत प्रफुल्लित। मुखमण्डल हर्षित हो पुलकित।। ***************************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेड़ी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

#शायरी #Dussehra  White **पावन पर्व दशहरा (चौपाई)**
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पावन   पर्व    दशहरा    आया।
खुशियों की  झोली  भर  लाया।।

छल – बल रावण  सीता  छीनी।
सती सावित्री  अबला दुख दीनी।।

लंका    पर   थी    चढ़ी   चढ़ाई।
सुर – असुर  मध्य  शुरू  लड़ाई।।

युद्ध   में   रावण   मार   गिराया।
सीता   का    राम    ने   छुड़ाया।।

जन - गण - मन खुशी हुई भारी।
दशरथ  सूत्  पर  सब बलिहारी।।

पाप - पुण्य  पर  था  अति भारा।
सत्य  समक्ष  असत्य  था    हारा।।

तब   से   रीत  चली   यह   आई।
अच्छाई     ही    जीतती     आई।।

आश्विन  में   शुक्ल।  पक्ष    आये।
विजयदशमी   का  पर्व  है   आये।।

महिषासुर  शीश   दुर्गा  ने   काटा।
सुख – समृद्धि  का  प्रसाद   बांटा।

रावण  –  दहन  के  पुतले  जलते।
अत्याचारी     सदा     ही     हरते।।

आपस       में    बांटते     मिठाई।
जन  –  जन  को  हो लाख बधाई।।

मनसीरत  मन   बहुत   प्रफुल्लित।
मुखमण्डल  हर्षित  हो    पुलकित।।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

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