*होठ नहीं नशीले जाम है* *********************** | हिंदी शायरी

"*होठ नहीं नशीले जाम है* *********************** पी लेने दो गुलाबी होठों को, ये होठ नहीं नशीले जाम हैँ। मिलते हैँ नसीबों वालो को, इनका नहीं कोई भी दाम है। खोया हूँ मै इनकी कुर्बत में, बाकी नहीं बकाया काम है। जिंदगी से कोसों दूर हुआ, लबों पे सदा उनका नाम है। मनसीरत मन फिरंगी हुआ, सुंदर नगरी प्रेम का धाम है। *********************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेडी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh"

 *होठ  नहीं  नशीले जाम है*
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पी लेने दो गुलाबी होठों को,
ये होठ नहीं नशीले जाम हैँ।

मिलते  हैँ नसीबों वालो को,
इनका नहीं कोई भी दाम है।

खोया हूँ मै इनकी कुर्बत में,
बाकी नहीं बकाया काम है।

जिंदगी  से  कोसों दूर हुआ,
लबों पे सदा उनका नाम है।

मनसीरत मन फिरंगी हुआ,
सुंदर नगरी प्रेम का धाम है।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत 
खेडी राओ वाली (कैथल)

©Sukhvinder Singh

*होठ नहीं नशीले जाम है* *********************** पी लेने दो गुलाबी होठों को, ये होठ नहीं नशीले जाम हैँ। मिलते हैँ नसीबों वालो को, इनका नहीं कोई भी दाम है। खोया हूँ मै इनकी कुर्बत में, बाकी नहीं बकाया काम है। जिंदगी से कोसों दूर हुआ, लबों पे सदा उनका नाम है। मनसीरत मन फिरंगी हुआ, सुंदर नगरी प्रेम का धाम है। *********************** सुखविंद्र सिंह मनसीरत खेडी राओ वाली (कैथल) ©Sukhvinder Singh

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