तुम्हे ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाल | हिंदी शायरी

"तुम्हे ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली ~जाफर अली हसरत ©हिंदीवाले"

 तुम्हे ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
~जाफर अली हसरत

©हिंदीवाले

तुम्हे ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली ~जाफर अली हसरत ©हिंदीवाले

तुम्हे ग़ैरों से कब फ़ुर्सत हम अपने ग़म से कम ख़ाली
चलो बस हो चुका मिलना न तुम ख़ाली न हम ख़ाली
~जाफर अली हसरत

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