कविताएं ही आने वाले वक्त में इंकलाब लाएंगी.
कविताएं ही एक दिन कामयाब होंगी
नफरती आवाजों को दफ्न
करने में.
आखिर कब तक हम
संवेदनाओं से भरे हृदय को,
नफरतों से भरते रहेंगे.
आखिर में कविताएं
कैसा क्रूर भाग्य का चक्कर
कैसा विकट समय का फेर
कहलाते हम- बीकानेरी
कभी न देखा- बीकानेर
जन्मे ‘बीकानेर’ गाँव में
है जो रेवाड़ी के पास
पर हरियाणा के यारों ने
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