पिथल क ख़िमता बादल री,जो रोकै सुर्य उगाली न सिंहा | हिंदी कविता

"पिथल क ख़िमता बादल री,जो रोकै सुर्य उगाली न सिंहा री हातल सह लेवै, बा कूंख मिली कद स्याली न धरती रो पाणी पीवे ईसी चातक री चूंच बणी कोनी कुकर री जूण जीवेलो हाथी री बात सुणी कोनी || आ हाथां म तलवार थकां कुण रांड कवै है रजपूती म्यानां र बदलै बैरयां री छातां म रेवली सुती || महाराणा प्रताप जयंती ©RJ bheraram moond"

 पिथल क ख़िमता बादल री,जो रोकै सुर्य उगाली न
सिंहा री हातल सह लेवै, बा कूंख मिली कद स्याली न
धरती रो पाणी पीवे ईसी चातक री चूंच बणी कोनी
कुकर री जूण जीवेलो  हाथी री बात सुणी कोनी ||
आ हाथां म तलवार थकां कुण रांड कवै है रजपूती
म्यानां र बदलै बैरयां री छातां म रेवली सुती ||  महाराणा प्रताप जयंती

©RJ bheraram moond

पिथल क ख़िमता बादल री,जो रोकै सुर्य उगाली न सिंहा री हातल सह लेवै, बा कूंख मिली कद स्याली न धरती रो पाणी पीवे ईसी चातक री चूंच बणी कोनी कुकर री जूण जीवेलो हाथी री बात सुणी कोनी || आ हाथां म तलवार थकां कुण रांड कवै है रजपूती म्यानां र बदलै बैरयां री छातां म रेवली सुती || महाराणा प्रताप जयंती ©RJ bheraram moond

महाराणा प्रताप जयंती
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