कलम और काग़ज़ के साथ,
हम अपना वक्त ज़ाया करते हैं.........
दास्तान-ए-मोहब्बत के किस्से,
हम तो सबको सुनाया करते हैं.........
गर कोई भी पूछता है हमसे ये,
कि मोहब्बत की थी तुमने कभी.......
अंदर से तो हम रोते हैं बहुत,
मगर बाहर से मुस्कुराया करते हैं......
©Poet Maddy
कलम और काग़ज़ के साथ,
हम अपना वक्त ज़ाया करते हैं.........
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