White विचार को जलाने के बाद जो निर्विकार रख शेष रहती है ,उससे उद्भिज भाव पैदा होते हैं बिना किसी वीर्य राज संयोग से।मात विचार की जलते समय उत्पन्न ऊष्मा भाव को उत्पन्न करती है।
सद्भाव की बात हो रही है ,दुराचारी विचार तो तत्क्षण गैसीय अवस्था में उड़ जाते हैं।
इन सद्भावों को संस्कार के स्वच्छ बर्तन में आस्था के पाने वाले श्रद्धा और विश्वास मिश्रण के साथ रखना पड़ता है।।
©Rohini Singh
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