#शिक्षापत्री#
स्तेनकर्म न कर्तव्यं धर्मार्थमपि केनचित् ।
सस्वामिकाष्ठपुष्पादि न ग्राह्यं तदनाज्ञया ।।१७।।
हमारे सत्संगी धार्मिक कार्य के लिए भी
कभी चोर का कर्म न करें,
तथा दूसरों की मालिकी के
काष्ठ पुष्प आदि चीजें भी उनकी (मालिक की)
आज्ञा के बिना न लें ।॥१७॥
©BABAPATHAKPURIYA
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