जरा देखे रुककर इन परींदो की उडान इस शाम को ढलने की इतनी जलदी क्यो ह! उसके जिस्म पे हल्दी तेरे हाथो मे लगेगी मेहंदी पर रुको जरा अभी इतनी जलदी क्या ह
हम भी बेठे हे जमी पर तेरी आश मे तुम्हे आशमा मे उडणे की इतनी जळदी क्या ह
कहानी तो बननी ही ह तेरी पर तुम्हे यू किस्सो से गुजर जाने की इतनी जलदी क्या ह
जरा बेठो साथ मेरे देखे उडान परिंदो की इस साम की तरह तुम्हे गुजर जाने की इतनी जलदी क्यो ह
©Shiv Rathore
#Darknight