मुद्दतें गुजरी मगर मुझे वो जमाना याद है,
मुझे तेरे दुपट्टे का लहराना,
तेरे झुमके का इठलाना याद है,
मुद्दतें गुजरी मगर हर दफा
पहली बार की तरह तुझसे मिलना
और , फिर अलविदा कहने का
फ़साना मुझे याद है,
भूल जाना , हाल खुद का
तेरी परवाह में ज़माने में
आशिक़ कहलाना याद है,
मेरी व्व ख्वाहिश तुझे ,
पैज पहनाने कि, और
तेरा किया मेरी ख्वाहिश को पूरा करने का
वादा मुझे याद है,
बेशक ज़माने को गुजरे जमाना हुआ,
मगर वो रंगीन अफ़साना मुझे याद है।
©Sachin Pathak
#delicate