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बस शब्दों से यारी है, कभी किसी क्रम में आ जाएँ तो कोई कविता बन जाते हैं, कभी कोई कहानी कह जाते हैं। insta : pathak_numa
किसी के इंतेजार में हम किसी के ना हुए, ना मंजिल मिली, न सफर के हुए। ना, जुगनू मिले न दिए जले, रोशनी की तरफ भागते हुए अंधेरों के भी न रहे। वापसी की कोशिश की हमने कई दफा, ना आगाज हुआ न अंत के रहे। ©Sachin Pathak
Sachin Pathak
15 Love
तू किसी शाम सी ढलने लगी, किसी जाम सी उतरने लगी, चाहा तुझे जब लगाना गले, तू लकीरों से मिटने लगी। ख़ाब देखे थे कई, सपने सजाये कई, आँख लगी जब भी, हुए थे करीब तेरे जरा सा, तो न जाने क्यों भोर हो गयी। माँगा ज्यादा न था कुछ , बस साथ तेरा तू रेत की लकीर हो गई, आंधी यूँ तो न थी, एक झोखा ही था बस, तू काजल की तरह मिट गई। ©Sachin Pathak
12 Love
मुद्दतें गुजरी मगर मुझे वो जमाना याद है, मुझे तेरे दुपट्टे का लहराना, तेरे झुमके का इठलाना याद है, मुद्दतें गुजरी मगर हर दफा पहली बार की तरह तुझसे मिलना और , फिर अलविदा कहने का फ़साना मुझे याद है, भूल जाना , हाल खुद का तेरी परवाह में ज़माने में आशिक़ कहलाना याद है, मेरी व्व ख्वाहिश तुझे , पैज पहनाने कि, और तेरा किया मेरी ख्वाहिश को पूरा करने का वादा मुझे याद है, बेशक ज़माने को गुजरे जमाना हुआ, मगर वो रंगीन अफ़साना मुझे याद है। ©Sachin Pathak
14 Love
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हाल ए दिल का अंदाजा लगाते हो तुम, चेहरे के भाव देख कर, मेरे खैर ख्वाह। अब कौन बताये तुमको हमने भी सीख लिया है ओढ़ना मुखौटा मुश्कुराहटों का। ©Sachin Pathak
1 Love
अये मेरे हरीफ तुम भी किसी के काम के नही, हमने अपनी ही गली में मोहब्बत की। तुमने कोई बवाल तक न किया, करते , तो शायद जिससे की, उसे मालूम तो होता। ©Sachin Pathak
11 Love
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