अकेली कहाँ, मेरी परछाई मेरे संग है, बुलंद होंसलों | हिंदी Poetry

"अकेली कहाँ, मेरी परछाई मेरे संग है, बुलंद होंसलों की बुनियाद अंदर है अकेली कहाँ, मेरा खुद का आत्माविश्वास मेरे संग है दुनिया की भीड़ में काबिलियत मेरे अंदर है ©Tulsi Malam"

 अकेली कहाँ,
मेरी परछाई मेरे संग है,
बुलंद होंसलों की बुनियाद अंदर है
अकेली कहाँ,
मेरा खुद का आत्माविश्वास मेरे संग है
दुनिया की भीड़ में काबिलियत मेरे अंदर है

©Tulsi Malam

अकेली कहाँ, मेरी परछाई मेरे संग है, बुलंद होंसलों की बुनियाद अंदर है अकेली कहाँ, मेरा खुद का आत्माविश्वास मेरे संग है दुनिया की भीड़ में काबिलियत मेरे अंदर है ©Tulsi Malam

#Sawera

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