इस दोस्ती की नज़्र ये अश'आर सभी हैं!
लफ़्ज़ों में पिरोए हुए ये हार सभी हैं।
तेरे ही ख़यालों से है होठों पे तबस्सुम,
इक नाम से वाबस्ता ये अज़कार सभी हैं!
मोहसिन कोई तुझसा है कहां दूजा जहां में,
क्यूं तेरी रफ़ाक़त के तलबगार सभी हैं!
इस ज़ीस्त के दरिया का किनारा नहीं कोई,
इक दोस्ती के बिन यहां लाचार सभी हैं!
मुमकिन है कि हम डूब कहीं जाएं भंवर में,
बस साथ तेरा है तो फिर उस पार सभी हैं!
वो लोग जो सबके हैं किसी के नहीं शायद,
इस बज़्म-ए-अनासिर में अदाकार सभी हैं!
इस दश्त-ए-बला में जो तेरे साथ वो अपना,
गो दौलत-ओ-दुनिया के तरफ़दार सभी हैं!
©Aliem U. Khan
#dosti_ki_kitaab #Dosti #happyfriendshipday #urdu #urduhindi_poetry in #Hindi poetry lovers #urdu poetry poetry quotes