जिंदगी की राह में चलता चल कर परिश्रम और बढ़ता चल... रंग दुनिया ने दिखाया है निराला, देखूँ..
है अँधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ .
आईना रख दे मेरे हाथ में, आख़िर मैं भी..
कैसा लगता है तेरा चाहने वाला देखूँ..
जिसके आँगन से खुले थे मेरे सारे रस्ते.
उस हवेली पे भला कैसे मैं ताला देखूँ..