White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की तस्वीर ख | हिंदी कविता

"White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की तस्वीर खिंचता हूँ... मैं मुझे लिखता हूँ, पर तुम्हें पढ़ता हूँ। मुझे कब परवाह रही है खुद की? मैं कब इतना सोचता हूँ? मैं मुझमे दिखता हूँ, पर तुममें रहता हूँ। बंजर जमीं को आस ज्यों इक ओस की, मैं यूँ तुम्हे देखता हूँ! मैं छूना चाहता हूँ खुद के तरन्नुम को, पर महसूस तुम्हें करता हूँ। मदहोशी! इश्क की तुम्हारी जिंदा करती है मुझे, मैं तुम्हारी यादों में धड़कता हूँ। सरगोशी में तुम्हारे आलम की, मैं सांसों में ख्याल तुम्हारा चाहता हूँ। आँखों मे आते लाल डोरे और धुँधली पड़ती नजर, फिर भी याद तुम्हें करता हूँ। मैं आईने देखता हूँ, पर अक्स में तुमको पाता हूँ। ख्वाबों को तुम्हारा पता मालूम है, मैं तो तुम्हे सोच के बस खो जाता हूँ। होशजदा होके तुमको ढूंढता हूँ, फिर बिस्तर पे बनी सलवटें देख मुस्कुराता हूँ। बेजार है ये आजादी लगती मुझको, मैं तो कैद होना चाहता हूँ। खुद से टूटकर...कहीं तुमसे जुड़ना चाहता हूँ। धड़कने और सांसे तो नाम है तुम्हारे, लेकिन इक कमी है...मैं तो हर लम्हें में तुम्हारा जिक्र चाहता हूँ। फकत बदहवास करता है ये बाजार मुझको, मैं सिर्फ तुममें उलझा रहना चाहता हूँ। ये उम्र तुम्हारे इश्क में बसर चाहता हूँ। तुमसे मिलती खुशियों की गरज कम नही होती, पर मैं तुम्हारे गम भी चाहता हूँ। तुमसे तो हँसी मिली ही है...जो आँसूं गिरे आंखों से तो उन कतरों से नाम तुम्हारा लिखना चाहता हूँ, जो मुहब्बत सरफरोशी सी कभी, मैं एकमुश्त मरना चाहता हूँ। मैं मुझको कर के फना! तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ, क्योंकि मैं तो बस तुम्हे चाहता हूँ! बस तुम्हे ही चाहता हूँ।। -✍️अभिषेक यादव ©Abhishek Yadav"

 White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की 
तस्वीर खिंचता हूँ... मैं मुझे लिखता हूँ,
पर तुम्हें पढ़ता हूँ।

मुझे कब परवाह रही है खुद की?
मैं कब इतना सोचता हूँ?
मैं मुझमे दिखता हूँ, पर तुममें रहता हूँ।

बंजर जमीं को आस ज्यों इक ओस की, मैं यूँ तुम्हे देखता हूँ! 
मैं छूना चाहता हूँ खुद के तरन्नुम को,
पर महसूस तुम्हें करता हूँ।

मदहोशी! इश्क की तुम्हारी जिंदा करती है मुझे, 
मैं तुम्हारी यादों में धड़कता हूँ।
सरगोशी में तुम्हारे आलम की, मैं सांसों में ख्याल तुम्हारा चाहता हूँ।

आँखों मे आते लाल डोरे और धुँधली पड़ती नजर, 
फिर भी याद तुम्हें करता हूँ।
मैं आईने देखता हूँ, पर अक्स में तुमको पाता हूँ।

ख्वाबों को तुम्हारा पता मालूम है, 
मैं तो तुम्हे सोच के बस खो जाता हूँ।
होशजदा होके तुमको ढूंढता हूँ, फिर बिस्तर पे बनी सलवटें देख मुस्कुराता हूँ।

बेजार है ये आजादी लगती मुझको,
मैं तो कैद होना चाहता हूँ।
खुद से टूटकर...कहीं तुमसे जुड़ना चाहता हूँ।
धड़कने और सांसे तो नाम है तुम्हारे, लेकिन इक कमी है...मैं तो हर लम्हें में तुम्हारा जिक्र चाहता हूँ।

फकत बदहवास करता है ये बाजार मुझको, मैं सिर्फ तुममें उलझा रहना चाहता हूँ।
ये उम्र तुम्हारे इश्क में बसर चाहता हूँ।
तुमसे मिलती खुशियों की गरज कम नही होती, पर मैं तुम्हारे गम भी चाहता हूँ।

तुमसे तो हँसी मिली ही है...जो आँसूं गिरे आंखों से तो उन कतरों से नाम तुम्हारा लिखना चाहता हूँ, 
जो मुहब्बत सरफरोशी सी कभी, मैं एकमुश्त मरना चाहता हूँ।

मैं मुझको कर के फना!
तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ,
क्योंकि मैं तो बस तुम्हे चाहता हूँ! बस तुम्हे ही चाहता हूँ।।
     -✍️अभिषेक यादव

©Abhishek Yadav

White मैं लफ्जों के दरम्यां हाल-ए-दिल की तस्वीर खिंचता हूँ... मैं मुझे लिखता हूँ, पर तुम्हें पढ़ता हूँ। मुझे कब परवाह रही है खुद की? मैं कब इतना सोचता हूँ? मैं मुझमे दिखता हूँ, पर तुममें रहता हूँ। बंजर जमीं को आस ज्यों इक ओस की, मैं यूँ तुम्हे देखता हूँ! मैं छूना चाहता हूँ खुद के तरन्नुम को, पर महसूस तुम्हें करता हूँ। मदहोशी! इश्क की तुम्हारी जिंदा करती है मुझे, मैं तुम्हारी यादों में धड़कता हूँ। सरगोशी में तुम्हारे आलम की, मैं सांसों में ख्याल तुम्हारा चाहता हूँ। आँखों मे आते लाल डोरे और धुँधली पड़ती नजर, फिर भी याद तुम्हें करता हूँ। मैं आईने देखता हूँ, पर अक्स में तुमको पाता हूँ। ख्वाबों को तुम्हारा पता मालूम है, मैं तो तुम्हे सोच के बस खो जाता हूँ। होशजदा होके तुमको ढूंढता हूँ, फिर बिस्तर पे बनी सलवटें देख मुस्कुराता हूँ। बेजार है ये आजादी लगती मुझको, मैं तो कैद होना चाहता हूँ। खुद से टूटकर...कहीं तुमसे जुड़ना चाहता हूँ। धड़कने और सांसे तो नाम है तुम्हारे, लेकिन इक कमी है...मैं तो हर लम्हें में तुम्हारा जिक्र चाहता हूँ। फकत बदहवास करता है ये बाजार मुझको, मैं सिर्फ तुममें उलझा रहना चाहता हूँ। ये उम्र तुम्हारे इश्क में बसर चाहता हूँ। तुमसे मिलती खुशियों की गरज कम नही होती, पर मैं तुम्हारे गम भी चाहता हूँ। तुमसे तो हँसी मिली ही है...जो आँसूं गिरे आंखों से तो उन कतरों से नाम तुम्हारा लिखना चाहता हूँ, जो मुहब्बत सरफरोशी सी कभी, मैं एकमुश्त मरना चाहता हूँ। मैं मुझको कर के फना! तुम्हें अपना बनाना चाहता हूँ, क्योंकि मैं तो बस तुम्हे चाहता हूँ! बस तुम्हे ही चाहता हूँ।। -✍️अभिषेक यादव ©Abhishek Yadav

#love_shayari प्रेम कविता

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