White राह की आखिरी सीमा तक चले आए हैं, तेरी यादों | हिंदी कविता

"White राह की आखिरी सीमा तक चले आए हैं, तेरी यादों के चराग राह में जलाए हैं। मंजिल का पता तो किसी ने न दिया, फिर भी तेरे वादों पर कदम बढ़ाए हैं। थकान का नाम तक नहीं लिया हमने, हर दर्द को मुस्कान में छुपाए हैं। मंजिल मिले या न मिले अब ग़म नहीं, हमने सफर के हर लम्हे को अपनाए हैं। ©Balwant Mehta"

 White राह की आखिरी सीमा तक चले आए हैं,
तेरी यादों के चराग राह में जलाए हैं।
मंजिल का पता तो किसी ने न दिया,
फिर भी तेरे वादों पर कदम बढ़ाए हैं।

थकान का नाम तक नहीं लिया हमने,
हर दर्द को मुस्कान में छुपाए हैं।
मंजिल मिले या न मिले अब ग़म नहीं,
हमने सफर के हर लम्हे को अपनाए हैं।

©Balwant Mehta

White राह की आखिरी सीमा तक चले आए हैं, तेरी यादों के चराग राह में जलाए हैं। मंजिल का पता तो किसी ने न दिया, फिर भी तेरे वादों पर कदम बढ़ाए हैं। थकान का नाम तक नहीं लिया हमने, हर दर्द को मुस्कान में छुपाए हैं। मंजिल मिले या न मिले अब ग़म नहीं, हमने सफर के हर लम्हे को अपनाए हैं। ©Balwant Mehta

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