"प्रेम क्या है?
उसकी व्याख्या नहीं हो सकती
प्रेम की भाषा अदि कोई है
प्रेम की कोई लिपि है तो वो
केवल आशु है
यही मात्र एक प्रेम है,प्रेम का कोई अर्थ नहीं इसको परिभासित कोई नहीं कर सकते है ये अवाख्य है अनिर्वचनिय है
प्रेम परमात्मा है
इसे रूह से महसूस करो,प्रेम को प्रेम ही
रहने दीजिये
इसे कोई नाम ना दीजिये
©Sulekha Kumari
"