ग़मों की आँच में भी, मुस्कुरा कर चलना पड़ता है ये | हिंदी Poetry

"ग़मों की आँच में भी, मुस्कुरा कर चलना पड़ता है ये दुनिया है यहाँ, चेहरा सजा कर चलना पड़ता है सियासत साज़िशों का एक, ऐसा जाल है जिस में कई चालों को, ख़ुद से छुपा कर चलना पड़ता है ©Asad_Poetry_25"

 ग़मों की आँच में भी, मुस्कुरा कर चलना पड़ता है
ये दुनिया है यहाँ, चेहरा सजा कर चलना पड़ता है

सियासत साज़िशों का एक, ऐसा जाल है जिस में
कई चालों को, ख़ुद से छुपा कर चलना पड़ता है

©Asad_Poetry_25

ग़मों की आँच में भी, मुस्कुरा कर चलना पड़ता है ये दुनिया है यहाँ, चेहरा सजा कर चलना पड़ता है सियासत साज़िशों का एक, ऐसा जाल है जिस में कई चालों को, ख़ुद से छुपा कर चलना पड़ता है ©Asad_Poetry_25

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