बचपन वो उसका था, पर बचपन जैसा नहीं था,
हर लम्हे में दर्द था, पर किसी ने देखा नहीं था।
मरने की ख्वाहिश में हर रोज़ जी रहा था,
फिर भी हंसते हुए अपनी ज़िंदगी बिता रहा था।
चेहरे पर मुस्कान, दिल में बवंडर छुपाए,
हर पल खुद को टूटने से बचाए।
वो लड़का जो अपनी तकलीफों को छुपा जाता है,
दूसरों की दुनिया में हंसी के फूल खिलाता है।
अपने आंसू पीकर जो सबको हंसाता है,
खुद की तकलीफों में भी खुशियों का गीत गाता है।
बचपन में जीने का हक़ उससे छीन गया,
पर हंसते-हंसते वो हर दर्द पी गया।
©Baijnath Sharma
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