तुम्हें दोबारा लिखकर, मिटाया नहीं जाएगा फिर किसी ग

"तुम्हें दोबारा लिखकर, मिटाया नहीं जाएगा फिर किसी गज़ल में, उतारा नहीं जाएगा ये तिलस्मी आखों का, खुमार है गालिब मेरे दरख़्त से परिंदा, उड़ाया नही जाएगा ©Kavi Karauli"

 तुम्हें दोबारा लिखकर, मिटाया नहीं जाएगा
फिर किसी गज़ल में, उतारा नहीं जाएगा
ये तिलस्मी आखों का, खुमार है गालिब
मेरे दरख़्त से परिंदा, उड़ाया नही जाएगा

©Kavi Karauli

तुम्हें दोबारा लिखकर, मिटाया नहीं जाएगा फिर किसी गज़ल में, उतारा नहीं जाएगा ये तिलस्मी आखों का, खुमार है गालिब मेरे दरख़्त से परिंदा, उड़ाया नही जाएगा ©Kavi Karauli

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