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कवि करौली
Kavi Karauli
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क्या खोज रहा हूं,खुद को, या खो रहा हूं, खुद को मैं डूब रहा हूं, किसमें मै या डूबा रहा हूं, खुद में मैं मैं हूं या कोई और...... मैं मुझसे है या कोई और मैं ©Kavi Karauli
9 Love
तुम्हें दोबारा लिखकर, मिटाया नहीं जाएगा फिर किसी गज़ल में, उतारा नहीं जाएगा ये तिलस्मी आखों का, खुमार है गालिब मेरे दरख़्त से परिंदा, उड़ाया नही जाएगा ©Kavi Karauli
11 Love
ना समझ है जिंदगी, मुझे आहिस्ता आहिस्ता समझ आया धूप में भूख और भूख में धूप का मतलब, तब समझ आया मै भी मांग लेता अपने बाप से, उसकी जिंदगी मगर खुद की जिंदगी खफ़ा कर ही जिंदगी का मतलब समझ आया ©Kavi Karauli
13 Love
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