एक इश्क़, कभी इश्क़ में, अपने इश्क़ को, अपने इश्क़ | हिंदी शायरी
"एक इश्क़, कभी इश्क़ में,
अपने इश्क़ को, अपने इश्क़ से सजा देता है।
फिर वही इश्क़, अपने इश्क़ को,
अपने इश्क़ से, उसके इश्क़ की सज़ा देता है।।
-ओम प्रकाश कुमार"
एक इश्क़, कभी इश्क़ में,
अपने इश्क़ को, अपने इश्क़ से सजा देता है।
फिर वही इश्क़, अपने इश्क़ को,
अपने इश्क़ से, उसके इश्क़ की सज़ा देता है।।
-ओम प्रकाश कुमार