मुझे चाहिए एक ऐसा साथ,
जहाँ मैं, मैं बनकर रह सकूँ,
और तुम, तुम ही बने रहो,
दोनो मिलकर हम बन जाएं।
ना तुम मुझे बदलने की कोशिश करो,
ना मैं तुममे कुछ बदलने की साजिश करूँ,
तुम धीर गंभीर सा रूप धरे रहो,
मैं चंचल हिरणी सी मचलती फिरूँ,
तुम व्यस्त रहो दुनिया के तौर तरीकों मे,
मैं बेखबर सी अपने सपनो मे जीती रहूँ,
ना मेरी कोई तुलना हो ना तुम्हारा कोई सानी हो,
ना मुझे कोई चिंता हो ना तुम्हे कोई परेशानी हो,
आज़ादी हो बोलने की, सोचने समझने की,
बेबाकी से अपने दिल को तुम्हारे सामने खोलने की,
ऐसा हमारा साथ हो जिसमें बंदिशें ना हो,
व्यक्तिगत निजता खोने का कोई भय ना हो।
नेहा गुप्ता
#ShiningInDark