खास है इस सुबह की लाली, आम नही ये शाम है,
इस रोज़ की हसरत मे जाने कितने वीर कुर्बान है।
लहू से सिंचा है जश्ने आज़ादी के इस रोशन गुलशन को,
जान गवाई जिसने हँसकर कैसे भूलें उस वीर शूरवीर को।
जाने कितने महावीरों के खून का हमपर कर्ज़ है,
उनकी अमानत की सलामती ही हमारा फ़र्ज़ है।
हाँ मुझे अभिमान है अपने भारतीय होने पर,
गुरुर है मुझे के मैंने इस पावन माटी मे जन्म लिया,
जहां ना कोई भेदभाव है रंग हरा हो या केसरिया,
हर धर्म जाति को हमने जहाँ दिल से अपना लिया।
है दंभ बड़ा ही अपने उन निडर साहसी वीरो पर,
सरहद की रक्षा करने का जिन्होंने डटकर प्रण लिया,
है गर्व देश के उन सभी मेहनतकश किसानों पर,
धूप बारिश कड़कती ठंड मे भी जिसने सबको अन्न दिया।
विविधताओं से भरा हुआ है चप्पा चप्पा जिसका यहाँ,
रंग बिरंगी वेशभूषा, मनभावन उत्सवों का माहौल कहाँ,
जाने कितनी भाषा यहाँ पर कितनी ही मधुर बोलियाँ है,
फिर भी अनदेखी एक डोर से बंधे हुए है सब लोग जहाँ।
ऐसा है मेरा भारत जो विश्व गुरु कहलाता है,
शून्य से शुरुआत कर जो शिर्ष तक ले जाता है,
नित निरंतर जो सदा आगे ही बढ़ते जाता है,
शक्तिशाली होकर भी जो अदब से सर झुकाता है,
आँख दिखाने वालो को जो सबक बड़ा सिखलाता है,
शरणागत हो जो तो उसको गोद मे अपने बिठाता है,
ये भूमि है राम कृष्ण की जो युद्ध की कला सिखाते है,
वहीं दूसरी और महावीर बुद्ध अहिंसा का पाठ पढ़ाते है,
ये भूमि है गुरु नानक की जो मानवता की मूरत है,
और वहीं कबीर तुलसी जो आध्यात्म की सूरत है,
विकास के पथ पर बढ़ता जाए देश मेरा ये अरमान है,
इसकी अस्मत पर मर मिटे ये देश ही मेरी पहचान है।
नेहा गुप्ता
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