कहती हूँ रोज़ मैं हज़ारो बातें,
सुनने वाले दाद भी तो देते है,
मेरे विचारों से वो कभी कभी
शायद प्रभावित भी होते है।
अब थक चुकी हूं कहते कहते,
अब बस चुपचाप सुनना चाहती हूं,
चिड़ियों की मधुर चहचहाहट,
कोयल की मीठी कूक, नदियों की कलकल,
बारिश की झरझारहट,पत्तो की खरखराहट,
उड़ना चाहती हूँ ऊंची उड़ान,
जीना चाहती हूँ अपने अरमान,
रखना चाहती हूँ अपनी छोटी खुशियों का खयाल.
क्यों जिंदगी को खर्च करें सिर्फ औरो के लिए,
अपने लिये कुछ पल जीने मे क्या बुराई है,
दूसरों की खुशियों का ही बस क्यों ख्याल हो,
अपनी खुशियों से भला क्या रुसवाई है।
नेहा गुप्ता
#ShiningInDark