एक तरफ़ बुनियादी बाला, एक तरफ़ है जलती ज्वाला!
कहिं पत्थर फ़ेके जाते हैं, कहिं घर दर तोड़े जाते हैं!!
कहिं मन्दिर मे खून खराबा है, मस्जिद में लहू लुहान हुआ!
एक तरफ है देखो रोशन गुल, एक तरफ़ महोल्ला वीरान हुआ!!
कैसी ये आजादी है, ये कैसा हिन्दुस्तान हुआ.......
है अपना भारत अपना घर, फ़िरते हैं फ़िर भी दर बदर,
नारी को सम्मान नहीं, छिना, झपटी, लूट हर घर!
मौकापरस्त इन्सान आज यहाँ मौत का सामान हुआ!!
कैसी ये आजादी है, ये कैसा हिन्दुस्तान हुआ........
एक तरफ़ खड़ी आजादी रोती, कहिं होता जश्न शहनाई का,
लाल रंग का तिरंगा रोता, क्या होगा बन्धु भाई का!
एक तरफ़ है रोटी - कपडा, एक तरफ़ तक़्त मकान हुआ!!
कैसी ये आजादी है, ये कैसा हिन्दुस्तान हुआ........
Aug 15, 2022
©Astha Raj Dhiren
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