White खरीदने वाले बहुत हैं , इसलिए बिकती हैं
यह सुंदरता बस दो - चार दिन के लिए निकलती हैं
इतना हुनर में मेरे अल्फाज़ो में दोस्तों
मेरी महबूबा भी अब मुझसे जलती हैं
अकेले निकलने से डरती हैं
यह खूबसूरती कहाँ उम्र भर साथ चलती हैं
जहाँ संभल कर रखना अपने कदम दुनिया के रंग मंच पर
आपकी काया भी उम्र के साथ बदलती हैं
आज कल हर लड़की खुद को परी समझती हैं
यह बचपन से खुद को सजना सवारना सिखती हैं
क्यों छीनते हुए बच्चों से उनकी खुशियाँ ऐ मेरे हमदम
एक दिन हुस्न की शमा परवाने के सामने पिघलती हैं
यह सब उनकी नहीं , उनके माँ बाप की गलती हैं
जो आग कच्ची उम्र में उनके सीने में उबलती हैं
दोष कभी हुस्न का नहीं , चढ़ती हुई जवानी का होता हैं
एक औरत ज़िन्दगी भर समाज के ताने झेल कर भी फूलों की तरह खिलती हैं
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©Sethi Ji
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