किरणों से सजे दरख्तों पर, भी सुकून नही मिलता.. बैठ | हिंदी शायरी

"किरणों से सजे दरख्तों पर, भी सुकून नही मिलता.. बैठा रहता हूँ उसके इंतजार को संभाले, मगर उसका पता नही मिलता... चलता रहता है वो हर पहर, मेरे मन के किनारे.. वैसे तो वो मुझसे कभी नही मिलता... नंदिनी... ©Nandini.."

 किरणों से सजे दरख्तों पर,
भी सुकून नही मिलता..
बैठा रहता हूँ उसके इंतजार को संभाले,
मगर उसका पता नही मिलता...
चलता रहता है वो हर पहर,
मेरे मन के किनारे..
वैसे तो वो मुझसे कभी नही मिलता...
नंदिनी...

©Nandini..

किरणों से सजे दरख्तों पर, भी सुकून नही मिलता.. बैठा रहता हूँ उसके इंतजार को संभाले, मगर उसका पता नही मिलता... चलता रहता है वो हर पहर, मेरे मन के किनारे.. वैसे तो वो मुझसे कभी नही मिलता... नंदिनी... ©Nandini..

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