पल वो खुशियों वाला देश प्रेमियों का आगया, नीले बाद

"पल वो खुशियों वाला देश प्रेमियों का आगया, नीले बादलों पर भी अब केसरी रंग छा गया | सज गई धरती ये हमारी दुल्हन सी, देख ये सजावट हर इंसान देखो शर्मा गया | लहरा रहा है देखो तिरंगा कैसे अपने ही मौज में, इस दिन की एहमियत, इंसानों से भी ज़्यादा दीखता है फ़ौज में | हर चीज़ तो मिलता है हमारे देश में, तो ऐ भटके हुए मुसाफिर तू चला है किस चीज़ के खोज में | यह देश है बड़ा सुन्दर, इस देश में तुम घुमलो, इस स्वतंत्र दिवस के त्यौहार पे थोड़ा नाचो और झूमलो | जो करे अपमान तिरंगे की, दो कान के नीचे जड़ के, उस तिरंगे को माथे से लगाके अपने होठों से चूमलो | करो सबकी मदद और रहो साथ मिलके, कभी रोना पड़े तो रो लो, और हसों भी साथ खिलके | अगर आगई किसी पे कोई भी मुसीबत, तो करो मदद उसकी, पर अपनी आँखें न मुंदलो | तो आओ सब एक साथ और करलो ये जतन, रहेंगे हम सब मिलके, न टूटेगा कभी हमारा वतन | दिवाली,ईद,क्रिसमस,लोहरी,हर त्यौहार साथ मनाते है, ऐसा है ये देश मेरा एक अनमोल रतन |"

 पल वो खुशियों वाला देश प्रेमियों का आगया, नीले बादलों पर भी अब केसरी रंग छा गया |
सज गई धरती ये हमारी दुल्हन सी, देख ये सजावट हर इंसान देखो शर्मा गया |
लहरा रहा है देखो तिरंगा कैसे अपने ही मौज में, इस दिन की एहमियत, इंसानों से भी ज़्यादा दीखता है फ़ौज में |
हर चीज़ तो मिलता है हमारे देश में, तो ऐ भटके हुए मुसाफिर तू चला है किस चीज़ के खोज में |
यह देश है बड़ा सुन्दर, इस देश में तुम घुमलो, इस स्वतंत्र दिवस के त्यौहार पे थोड़ा नाचो और झूमलो |
जो करे अपमान तिरंगे की, दो कान के नीचे जड़ के, उस तिरंगे को माथे से लगाके अपने होठों से चूमलो |
करो सबकी मदद और रहो साथ मिलके, कभी रोना पड़े तो रो लो, और हसों भी साथ खिलके |
अगर आगई किसी पे कोई भी मुसीबत, तो करो मदद उसकी, पर अपनी आँखें न मुंदलो |
तो आओ सब एक साथ और करलो ये जतन, रहेंगे हम सब मिलके, न टूटेगा कभी हमारा वतन |
दिवाली,ईद,क्रिसमस,लोहरी,हर त्यौहार साथ मनाते है, ऐसा है ये देश मेरा एक अनमोल रतन |

पल वो खुशियों वाला देश प्रेमियों का आगया, नीले बादलों पर भी अब केसरी रंग छा गया | सज गई धरती ये हमारी दुल्हन सी, देख ये सजावट हर इंसान देखो शर्मा गया | लहरा रहा है देखो तिरंगा कैसे अपने ही मौज में, इस दिन की एहमियत, इंसानों से भी ज़्यादा दीखता है फ़ौज में | हर चीज़ तो मिलता है हमारे देश में, तो ऐ भटके हुए मुसाफिर तू चला है किस चीज़ के खोज में | यह देश है बड़ा सुन्दर, इस देश में तुम घुमलो, इस स्वतंत्र दिवस के त्यौहार पे थोड़ा नाचो और झूमलो | जो करे अपमान तिरंगे की, दो कान के नीचे जड़ के, उस तिरंगे को माथे से लगाके अपने होठों से चूमलो | करो सबकी मदद और रहो साथ मिलके, कभी रोना पड़े तो रो लो, और हसों भी साथ खिलके | अगर आगई किसी पे कोई भी मुसीबत, तो करो मदद उसकी, पर अपनी आँखें न मुंदलो | तो आओ सब एक साथ और करलो ये जतन, रहेंगे हम सब मिलके, न टूटेगा कभी हमारा वतन | दिवाली,ईद,क्रिसमस,लोहरी,हर त्यौहार साथ मनाते है, ऐसा है ये देश मेरा एक अनमोल रतन |

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