तुम घर आओ, जूते उतारो और कुर्सी पर बैठ एक गहरी सा | हिंदी Shayari

"तुम घर आओ, जूते उतारो और कुर्सी पर बैठ एक गहरी सांस लेते हुए कहो, "आज बहुत काम था दफ़्तर में, थक गई " मैं, अंदर जाकर दो कप चाय बना लाऊ और हम धीरे-धीरे फिर एक-दूजे की थकान को पियें आदमी में इतनी औरत और औरत में इतना आदमी हमेशा बचा रहना चाहिए..!! -ख्याली_जोशी 🥀🥀 ©HUMANITY INSIDE"

 तुम घर आओ, जूते उतारो 
और कुर्सी पर बैठ एक गहरी सांस लेते हुए कहो,
"आज बहुत काम था दफ़्तर में, थक गई "

मैं, अंदर जाकर दो कप चाय बना लाऊ 
और हम धीरे-धीरे फिर एक-दूजे की थकान को पियें 

आदमी में इतनी औरत और औरत में इतना आदमी 
हमेशा बचा रहना चाहिए..!!

-ख्याली_जोशी 🥀🥀

©HUMANITY INSIDE

तुम घर आओ, जूते उतारो और कुर्सी पर बैठ एक गहरी सांस लेते हुए कहो, "आज बहुत काम था दफ़्तर में, थक गई " मैं, अंदर जाकर दो कप चाय बना लाऊ और हम धीरे-धीरे फिर एक-दूजे की थकान को पियें आदमी में इतनी औरत और औरत में इतना आदमी हमेशा बचा रहना चाहिए..!! -ख्याली_जोशी 🥀🥀 ©HUMANITY INSIDE

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