भद्रता बहुत है मुझमें , अभद्रता का भी भंडार है.. न | हिंदी शायरी

"भद्रता बहुत है मुझमें , अभद्रता का भी भंडार है.. निर्भर देखने वाले पर , वो किसका तलबगार है..। ©Rahul Panwar"

 भद्रता बहुत है मुझमें , अभद्रता का भी भंडार है..
निर्भर देखने वाले पर , वो किसका तलबगार है..।

©Rahul Panwar

भद्रता बहुत है मुझमें , अभद्रता का भी भंडार है.. निर्भर देखने वाले पर , वो किसका तलबगार है..। ©Rahul Panwar

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