घनघोर कुछ ये भौर है , अंधकार ही सब ओर है
संसार का दस्तूर है , कपटी यहाँ मशहूर है.. {2}
विश्वास की न आस हो , साक्ष्य तुम्हारे पास हों...{2}
फिर भी न तुम कुछ कर सको ,
हिम्मत न हो , के मर सको...
परिजनों से द्वंद्व रहना हो ,
उन अक्षुओं का बहना हो..
अब समाज से कुछ कहना हो,
क्यों अन्याय को भी सहना हो ? {2}
रूढिवादिता सर पे रहे , हर सत्पुरुष अब ये कहे...
सत को गर तुम यूँ झुकाओ , असत के संग फिर लाड़ लड़ाओ...
कल तुम्हारा भी आएगा .. सत्य यूँ ही झुक जाएगा..
इस रूढ़िवादी सोच से , असत विजय हो जाएगा..।
पर इतिहास ही मजबूर है.......
संसार का दस्तूर है , कपटी यहाँ मशहूर है..
घनघोर कुछ ये भौर है , अंधकार ही सब ओर है.. अंधकार ही सब ओर है...।
©Rahul Panwar
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