Rahul Panwar

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ख्वाबों में जीता हूँ अल्फ़ाज़ों में कैसे आऊँगा ? बयाँ तो मैं कर दूँ खुद को पर डरता हूँ कि वापस कैसे जाऊंगा।

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अनायास वो सम्मुख आये.. क्या चञ्चलता साथ थे लाये. , उजला रंग था सूट का उनके समुद्र वर्ण से गढ़े थे पत्ते.. नज़र पड़ी जो मुख मण्डल पर , आकाश गंगा ही नज़र में आये.. मस्तक बिन्दिया ध्रुव तारा सी , फिरभी सूर्य सा तेज बढ़ाये.. करना चाहे मन कुछ पर , दिल कुछ और ही करता जाए.. जब अनायास वो सम्मुख आये...}२ अधर लालिमा बयाँ क्या करूँ..? कि लाल ग्रह भी फीका लागे.. कैसा था वह दृश्य अनोखा , क्या अरमान थे दिल मे जागे.. आँखों को बस देखा भाये , न कुछ और अब करना चाहें.. सम्भले ही थे पल भर को , और एकाएक फिर वो मुस्काये... अब कोई संभालो हमको यारोँ.. ये मुस्काहत मार ना जाये..। अनायास वो सम्मुख आये.. क्या चञ्चलता साथ थे लाये. ,। ©Rahul Panwar

#हिन्दीकविता #प्रेमप्रसंग #hindi_poetry #prahul1731 #लव  अनायास वो सम्मुख आये..
क्या चञ्चलता साथ थे लाये. ,

उजला रंग था सूट का उनके
समुद्र वर्ण से  गढ़े थे पत्ते..
 नज़र पड़ी जो मुख मण्डल पर ,
आकाश गंगा ही नज़र में आये..

 मस्तक बिन्दिया ध्रुव तारा सी ,
फिरभी सूर्य सा तेज बढ़ाये.. 
करना चाहे मन कुछ पर ,  दिल कुछ और ही करता जाए..
 जब अनायास वो सम्मुख आये...}२

अधर लालिमा बयाँ क्या करूँ..?
कि लाल ग्रह भी फीका लागे..
कैसा था वह दृश्य अनोखा , क्या अरमान थे दिल मे जागे..
आँखों को बस देखा भाये , न कुछ और अब करना चाहें..

सम्भले ही थे पल भर को , और 
एकाएक फिर वो मुस्काये...

अब कोई संभालो हमको यारोँ..
ये मुस्काहत मार ना जाये..।
अनायास वो सम्मुख आये..
क्या चञ्चलता साथ थे लाये. ,।

©Rahul Panwar

मिथ्यायाः सम्मानं न । कपटस्य हृदये स्थानं न ।। झूठ का सम्मान नहीं.. कपट का दिल में स्थान नहीं..। ©Rahul Panwar

#संस्कृतश्लोक #हिन्दीकविता #हिंदिशायरी #hindi_poetry #Hindi  मिथ्यायाः सम्मानं न ।
कपटस्य हृदये स्थानं न ।।


झूठ का सम्मान नहीं..
कपट का दिल में स्थान नहीं..।

©Rahul Panwar

भद्रता बहुत है मुझमें , अभद्रता का भी भंडार है.. निर्भर देखने वाले पर , वो किसका तलबगार है..। ©Rahul Panwar

#हिन्दीकविता #हिंदीशायरी #आत्मव्यथा #शायरी #apjabdulkalam  भद्रता बहुत है मुझमें , अभद्रता का भी भंडार है..
निर्भर देखने वाले पर , वो किसका तलबगार है..।

©Rahul Panwar

किसी ग़ैर सा हर क़दम , क्यों बनना चाहें.. वो अपना किरदार निभा रहा , क्यों न हम अपना निभाएं..। ©Rahul Panwar

#शायरी #अनुभव #prahul1731 #कवि #shayeri  किसी ग़ैर सा हर क़दम , क्यों बनना चाहें..
वो अपना किरदार निभा रहा , क्यों न हम अपना निभाएं..।

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क्या बख़ूब रंगा था उसने चहरे को अपने.. धुलने पर भी स्तब्ध हूँ , असल चेहरा कौन है..। ©Rahul Panwar

#हिंदिशायरी #कविता #शायरी #विचार #prahul1731  क्या बख़ूब रंगा था उसने चहरे को अपने..
धुलने पर  भी स्तब्ध हूँ , असल चेहरा कौन है..।

©Rahul Panwar

घनघोर कुछ ये भौर है , अंधकार ही सब ओर है संसार का दस्तूर है , कपटी यहाँ मशहूर है.. {2} विश्वास की न आस हो , साक्ष्य तुम्हारे पास हों...{2} फिर भी न तुम कुछ कर सको , हिम्मत न हो , के मर सको... परिजनों से द्वंद्व रहना हो , उन अक्षुओं का बहना हो.. अब समाज से कुछ कहना हो, क्यों अन्याय को भी सहना हो ? {2} रूढिवादिता सर पे रहे , हर सत्पुरुष अब ये कहे... सत को गर तुम यूँ झुकाओ , असत के संग फिर लाड़ लड़ाओ... कल तुम्हारा भी आएगा .. सत्य यूँ ही झुक जाएगा.. इस रूढ़िवादी सोच से , असत विजय हो जाएगा..। पर इतिहास ही मजबूर है....... संसार का दस्तूर है , कपटी यहाँ मशहूर है.. घनघोर कुछ ये भौर है , अंधकार ही सब ओर है.. अंधकार ही सब ओर है...। ©Rahul Panwar

#selfPoetry #prahul1731 #Hopeless #poetery #Storie  घनघोर कुछ ये भौर है , अंधकार ही सब ओर है 
संसार का दस्तूर है , कपटी यहाँ मशहूर है.. {2}

 विश्वास की न आस हो , साक्ष्य तुम्हारे पास हों...{2}
फिर भी न तुम कुछ कर सको  , 
 हिम्मत न हो , के मर सको...

परिजनों से द्वंद्व रहना हो , 
उन अक्षुओं का बहना हो..
अब समाज से कुछ कहना हो,
क्यों अन्याय को भी सहना हो ?  {2}
 
रूढिवादिता सर पे रहे , हर सत्पुरुष अब ये कहे...
सत को गर तुम यूँ झुकाओ , असत के संग फिर लाड़ लड़ाओ...
कल तुम्हारा भी आएगा .. सत्य यूँ ही  झुक जाएगा..
इस रूढ़िवादी सोच से , असत विजय हो जाएगा..।

पर इतिहास ही मजबूर है.......

संसार का दस्तूर है , कपटी यहाँ मशहूर है.. 
घनघोर कुछ ये भौर है , अंधकार ही सब ओर है.. अंधकार ही सब ओर है...।

©Rahul Panwar

कपटी यहाँ मशहूर है । #poetery #prahul1731 #selfPoetry #Storie #Hopeless

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