जैसे—तैसे जी बहलाते रहते हैं यादों से हम काम चलाते | हिंदी Shaya

"जैसे—तैसे जी बहलाते रहते हैं यादों से हम काम चलाते रहते हैं कुछ लोगों की प्यास बुझाने सहरा में दरियावाले आते—जाते रहते हैं... ©Atul Kushwah "

जैसे—तैसे जी बहलाते रहते हैं यादों से हम काम चलाते रहते हैं कुछ लोगों की प्यास बुझाने सहरा में दरियावाले आते—जाते रहते हैं... ©Atul Kushwah

#ghazal #Poetry

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