हे! देवकीनन्दन, हे! नंद किशोर।
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।
तुम कमलनयन तुम बालगोपाल
तुम मधुसूदन तुम नन्दगोपाल
तुम मुरलीधर, तुम ही रणछोड़।
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।
माधव तेरी सब लीला अपरंपार
तू कण-कण में है, तू ही संसार
तेरे आगे केशव, ना चलता जोर
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।
राधा के संघ तूने प्रेम रचाकर
प्रेम के असली अर्थ- बताकर
मन से जोड़े तूने प्रेम का डोर
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।
पांडव को उनका हक़ दिलवाया
द्रौपदी को कौरवों से छुड़वाया
तेरी महिमा गूँजती है चहुँओर
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।
-अभि सागर