abhi sagar

abhi sagar Lives in Gorakhpur, Uttar Pradesh, India

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#न्यूज़ #TiTLi  क्या हो रहा है यार, अब  इस ज़माने को।
सभी बस  तैयार  बैठे  हैं, लहू  बहाने  को।

वो गलियाँ, वो बगीचे, सभी धुंधले हो चले
शहर आ चुके हैं सभी जन, धन कमाने को।

मदद  करने को कोई हाथ बढ़े तो संभलों 
ले रहें होंगें ये सेल्फियाँ, स्टेटस लगाने को।

मुफ़लिसी-भूखमरी क्या चीज़ है उससे पूछो
जो  बेबस  है  बच्चों  को  भूखा, सुलाने को।

और मेरे हालात भी अब कुछ ऐसे हो चले हैं
कि मुस्कुराता हूँ, ग़मों का समंदर छुपाने को।।

©abhi sagar

#TiTLi

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#राजनीति #शायरी #Politics #thaughts #worried  हम थक चुकें हैं साहब, तुम्हारी बातें सुनकर।
और तुम थकते नहीं हो, झूठी बातें बोलकर।।

©abhi sagar

पत्नी:- देखी हैं मैंने, ढेरों उजड़ी बस्तियाँ प्यारे, सुनहरे ख़्वाबों की। छोड़ भी दो न तुम पति मेरे बहुत बुरी है लत शराबों की। पति:- छोड़ अगर दूँ इस लत को तो कैसे मैं रह पाऊँगा। एक घूँट गर गले न उतरे उस दिन मैं मर जाऊँगा। पत्नी:- सपने टूटे, अपने छूटे, ख़ुद भी टूट चुकी हूँ मैं। अपनी आबरू अपने हाथों से मानो लूट चुकी हूँ मैं। पति:- अब तो चाहे जान ही जाए कोशिश करके सम्भलूँगा। तेरी आबरू बचाने की ख़ातिर ख़ुद को अब से बदलूँगा। ©abhi sagar

 पत्नी:-
देखी हैं मैंने, 
ढेरों उजड़ी बस्तियाँ 
प्यारे, सुनहरे ख़्वाबों की।
छोड़ भी दो न 
तुम पति मेरे
बहुत बुरी है लत शराबों की।

पति:-
छोड़ अगर दूँ 
इस लत को
तो कैसे मैं रह पाऊँगा।
एक घूँट गर 
गले न उतरे
उस दिन मैं मर जाऊँगा।

पत्नी:-
सपने टूटे,
अपने छूटे,
ख़ुद भी टूट चुकी हूँ मैं।
अपनी आबरू 
अपने हाथों से 
मानो लूट चुकी हूँ मैं।

पति:-
अब तो चाहे 
जान ही जाए
कोशिश करके सम्भलूँगा।
तेरी आबरू 
बचाने की ख़ातिर
ख़ुद को अब से बदलूँगा।

©abhi sagar

पत्नी:- देखी हैं मैंने, ढेरों उजड़ी बस्तियाँ प्यारे, सुनहरे ख़्वाबों की। छोड़ भी दो न तुम पति मेरे बहुत बुरी है लत शराबों की। पति:- छोड़ अगर दूँ इस लत को तो कैसे मैं रह पाऊँगा। एक घूँट गर गले न उतरे उस दिन मैं मर जाऊँगा। पत्नी:- सपने टूटे, अपने छूटे, ख़ुद भी टूट चुकी हूँ मैं। अपनी आबरू अपने हाथों से मानो लूट चुकी हूँ मैं। पति:- अब तो चाहे जान ही जाए कोशिश करके सम्भलूँगा। तेरी आबरू बचाने की ख़ातिर ख़ुद को अब से बदलूँगा। ©abhi sagar

3 Love

राज़ रखते हो दिल में, तो दिखा भी देना। इश्क़ करते हो बेतहाशा तो बता भी देना। ज़माना तो ख़िलाफ़ होगा ऐसी बगावत से तुम प्यार से सबको सीने से लगा भी लेना। नफ़रत फ़ैलाने को यहाँ तो लोग काफी हैं तुम इश्क़ की ख़ुश्बू जहाँ में फैला भी देना। प्यार में हज़ार वादें करना सभी को आता हैं तुम थामकर हाथों को,ये वादे निभा भी देना। तुम हज़ार बार रूठो मनाने ज़रूर आऊँगा अगर मैं एक बार रूठूँ, तुम मना भी लेना। ताउम्र रिझाने की कोशिश रहेगी जान-ए-जाँ गुस्ताख़ी हो अगर मुझसे, तुम सज़ा भी देना। यूँ तो याद है मुझको मुलाक़ातों की हसीं बातें तारीख़ें भूल जाता हूँ, तुम याद दिला भी देना। तुम्हारी शक़्ल पर आँसू, हमें अच्छे नहीं लगते तुम "अभि" के ज़नाज़े पे ज़रा मुस्कुरा ही देना।

#कविता #meltingdown  राज़ रखते हो दिल में, तो दिखा भी देना।
इश्क़ करते हो बेतहाशा तो बता भी देना।

ज़माना तो ख़िलाफ़ होगा ऐसी बगावत से
तुम प्यार से सबको सीने से लगा भी लेना।

नफ़रत फ़ैलाने  को यहाँ तो लोग काफी हैं
तुम इश्क़ की ख़ुश्बू जहाँ में फैला भी देना।

प्यार में हज़ार वादें करना सभी को आता हैं
तुम थामकर हाथों को,ये वादे निभा भी देना।

तुम हज़ार बार रूठो मनाने ज़रूर आऊँगा
अगर  मैं  एक बार रूठूँ, तुम मना भी लेना।

ताउम्र रिझाने की कोशिश रहेगी जान-ए-जाँ 
गुस्ताख़ी  हो अगर मुझसे, तुम सज़ा भी देना।

यूँ तो याद है मुझको मुलाक़ातों की हसीं बातें
तारीख़ें भूल जाता हूँ, तुम याद दिला भी देना।

तुम्हारी शक़्ल पर आँसू, हमें अच्छे नहीं लगते
तुम "अभि" के ज़नाज़े पे ज़रा मुस्कुरा ही देना।

हे! देवकीनन्दन, हे! नंद किशोर। हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। तुम कमलनयन तुम बालगोपाल तुम मधुसूदन तुम नन्दगोपाल तुम मुरलीधर, तुम ही रणछोड़। हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। माधव तेरी सब लीला अपरंपार तू कण-कण में है, तू ही संसार तेरे आगे केशव, ना चलता जोर हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। राधा के संघ तूने प्रेम रचाकर प्रेम के असली अर्थ- बताकर मन से जोड़े तूने प्रेम का डोर हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। पांडव को उनका हक़ दिलवाया द्रौपदी को कौरवों से छुड़वाया तेरी महिमा गूँजती है चहुँओर हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। -अभि सागर

 हे! देवकीनन्दन, हे! नंद किशोर।
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।

तुम कमलनयन तुम बालगोपाल
तुम   मधुसूदन  तुम नन्दगोपाल
तुम मुरलीधर, तुम  ही रणछोड़।
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।

माधव तेरी सब लीला अपरंपार
तू कण-कण  में है, तू ही संसार
तेरे आगे केशव, ना चलता जोर
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।

राधा  के  संघ  तूने प्रेम रचाकर
प्रेम  के  असली  अर्थ- बताकर
मन  से  जोड़े  तूने प्रेम का डोर
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।

पांडव को उनका हक़ दिलवाया
द्रौपदी  को कौरवों से छुड़वाया
तेरी  महिमा गूँजती है चहुँओर
हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर।
-अभि सागर

हे! देवकीनन्दन, हे! नंद किशोर। हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। तुम कमलनयन तुम बालगोपाल तुम मधुसूदन तुम नन्दगोपाल तुम मुरलीधर, तुम ही रणछोड़। हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। माधव तेरी सब लीला अपरंपार तू कण-कण में है, तू ही संसार तेरे आगे केशव, ना चलता जोर हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। राधा के संघ तूने प्रेम रचाकर प्रेम के असली अर्थ- बताकर मन से जोड़े तूने प्रेम का डोर हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। पांडव को उनका हक़ दिलवाया द्रौपदी को कौरवों से छुड़वाया तेरी महिमा गूँजती है चहुँओर हे! बाँसुरी वाले, हे! माखन चोर। -अभि सागर

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आज फिर भी लोग रंग लगाते हुए मिलते हैं बाकी मैंने रंग बदलकर मिलने वाले खूब देखे हैं।।

#शायरी  आज फिर भी लोग रंग लगाते हुए मिलते हैं
बाकी मैंने रंग बदलकर मिलने वाले खूब देखे हैं।।

आज फिर भी लोग रंग लगाते हुए मिलते हैं बाकी मैंने रंग बदलकर मिलने वाले खूब देखे हैं।।

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