बड़े नजरों से पाल पोस कर
अरमानों की डोली बिठाया
राज करेगी अपने घर में
सपनों को था सजाया
ससुराल में सब कहते थे उसको
पराए घर से आई
बड़ी उम्मीद से नजरें उसने
जीवन साथी पर गड़ाई
वह भी उसको समझ ना पाए
निस दिन ही धिक्कारे
कहां जाए बेचारी अबला
किसको कहो पुकारे ?
मां बाप कहते वही हैं अपने
उनके घर को संभालो
ससुराल वाले यही देते ताना
अपने घर को भागो..
दो घरों की होकर भी उसको
एक ना घर मिल पाए
दोनों घरों को सजाए लेकिन
अपना किसे कह पाए...........?
©Anita Mishra
#girl #Kismat #Naari कविता कोश