पुरुष भी चाहते हैं.. एक मज़बूत कंधा.... कभी-कभी स | हिंदी कविता

"पुरुष भी चाहते हैं.. एक मज़बूत कंधा.... कभी-कभी सर रख कर रोने के लिए.... कोमल हृदय वाली स्त्री.... उनके कठोर मन को समझने के लिए.... थोड़ी स्वतंत्रता कुछ गलतियां करने के लिए.... एक साहस अपने पिता को बेझिझक गले लगाने के लिए.... एक सराहना उनका मनोबल मज़बूत बनाए रखने के लिए..... दो प्रेम के बोल उनके हृदय को सुख देने के लिए..... पुरुष भी चाहते है कभी-कभी स्त्री हो जाना...... ~ आईना ©Ashish Kumar Chaudhari"

 पुरुष भी चाहते हैं..

एक मज़बूत कंधा....
कभी-कभी सर रख कर रोने के लिए....

कोमल हृदय वाली स्त्री....

उनके कठोर मन को समझने के लिए....

थोड़ी स्वतंत्रता

कुछ गलतियां करने के लिए....

एक साहस

अपने पिता को

बेझिझक गले लगाने के लिए....

एक सराहना

उनका मनोबल

मज़बूत बनाए रखने के लिए.....

दो प्रेम के बोल

उनके हृदय को सुख देने के लिए.....

पुरुष भी चाहते है कभी-कभी स्त्री हो जाना......

~ आईना

©Ashish Kumar Chaudhari

पुरुष भी चाहते हैं.. एक मज़बूत कंधा.... कभी-कभी सर रख कर रोने के लिए.... कोमल हृदय वाली स्त्री.... उनके कठोर मन को समझने के लिए.... थोड़ी स्वतंत्रता कुछ गलतियां करने के लिए.... एक साहस अपने पिता को बेझिझक गले लगाने के लिए.... एक सराहना उनका मनोबल मज़बूत बनाए रखने के लिए..... दो प्रेम के बोल उनके हृदय को सुख देने के लिए..... पुरुष भी चाहते है कभी-कभी स्त्री हो जाना...... ~ आईना ©Ashish Kumar Chaudhari

#selflove

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