Ashish Kumar Chaudhari

Ashish Kumar Chaudhari

इश्क़ में शहर हूँ मैं(बनारसिया)

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पुरुष भी चाहते हैं.. एक मज़बूत कंधा.... कभी-कभी सर रख कर रोने के लिए.... कोमल हृदय वाली स्त्री.... उनके कठोर मन को समझने के लिए.... थोड़ी स्वतंत्रता कुछ गलतियां करने के लिए.... एक साहस अपने पिता को बेझिझक गले लगाने के लिए.... एक सराहना उनका मनोबल मज़बूत बनाए रखने के लिए..... दो प्रेम के बोल उनके हृदय को सुख देने के लिए..... पुरुष भी चाहते है कभी-कभी स्त्री हो जाना...... ~ आईना ©Ashish Kumar Chaudhari

#कविता #selflove  पुरुष भी चाहते हैं..

एक मज़बूत कंधा....
कभी-कभी सर रख कर रोने के लिए....

कोमल हृदय वाली स्त्री....

उनके कठोर मन को समझने के लिए....

थोड़ी स्वतंत्रता

कुछ गलतियां करने के लिए....

एक साहस

अपने पिता को

बेझिझक गले लगाने के लिए....

एक सराहना

उनका मनोबल

मज़बूत बनाए रखने के लिए.....

दो प्रेम के बोल

उनके हृदय को सुख देने के लिए.....

पुरुष भी चाहते है कभी-कभी स्त्री हो जाना......

~ आईना

©Ashish Kumar Chaudhari

#selflove

9 Love

तेरे लिए क्या लिखूं बनारस... तुझपे लिखने के लिए मेरे शब्द कहीं खो से जाते हैं...... मेरी पंक्तियों के अर्थ निकलना बंद हो जाते हैं..... तुझपे क्या ही लिखूँ मेरे बनारस.... अपना नीला रंग मुझमें भर दे...... ए बनारस मुझे नीला कर दे....... ©Ashish Kumar Chaudhari

#शायरी #Nature  तेरे लिए क्या लिखूं बनारस...
तुझपे लिखने के लिए मेरे शब्द कहीं खो से जाते हैं......
मेरी पंक्तियों के अर्थ निकलना बंद हो जाते हैं.....
तुझपे क्या ही लिखूँ मेरे बनारस....
अपना नीला रंग मुझमें भर दे......
ए बनारस मुझे नीला कर दे.......

©Ashish Kumar Chaudhari

ए मेरे बनारष मुझे फिर से नीला कर दे💐💐 #Nature

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#शायरी  नाम की दोस्ती...
काम की यारी....
तुम क्या जानो मेरे दोस्त....
दूसरों की तरह....
आदत नहीं हमारी...

©Ashish Kumar Chaudhari

नाम की दोस्ती... काम की यारी.... तुम क्या जानो मेरे दोस्त.... दूसरों की तरह.... आदत नहीं हमारी...

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#शायरी  अब तो गले लगा लो किसी को मंज़िल समझकर....
क्यूंकि अब ये रास्ते अपना वजूद खो रहे हैं...

©Ashish Kumar Chaudhari

अब तो गले लगा लो किसी को मंज़िल समझकर.... क्यूंकि अब ये रास्ते अपना वजूद खो रहे हैं...

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#शायरी #chaadar

कुछ कहानियां बिल्कुल ऐसे ही होती हैं.... बेवजह और बेकार सी..... #chaadar

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कुछ तो उधार बाकी है....@ आपका मुझ पर....@ वरना यूँ ही नहीं जुड़ते....@ शब्दों के धागे आपसे...@ @#@# ©Ashish Kumar Chaudhari

 कुछ तो उधार बाकी है....@
आपका मुझ पर....@
वरना यूँ ही नहीं जुड़ते....@
शब्दों के धागे आपसे...@
@#@#

©Ashish Kumar Chaudhari

कुछ तो उधार बाकी है.... आपका मुझ पर.... वरना यूँ ही नहीं जुड़ते.... शब्दों के धागे आपसे... ##आशीष## #SunSet

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