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इश्क़ में शहर हूँ मैं(बनारसिया)
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पुरुष भी चाहते हैं.. एक मज़बूत कंधा.... कभी-कभी सर रख कर रोने के लिए.... कोमल हृदय वाली स्त्री.... उनके कठोर मन को समझने के लिए.... थोड़ी स्वतंत्रता कुछ गलतियां करने के लिए.... एक साहस अपने पिता को बेझिझक गले लगाने के लिए.... एक सराहना उनका मनोबल मज़बूत बनाए रखने के लिए..... दो प्रेम के बोल उनके हृदय को सुख देने के लिए..... पुरुष भी चाहते है कभी-कभी स्त्री हो जाना...... ~ आईना ©Ashish Kumar Chaudhari
Ashish Kumar Chaudhari
9 Love
तेरे लिए क्या लिखूं बनारस... तुझपे लिखने के लिए मेरे शब्द कहीं खो से जाते हैं...... मेरी पंक्तियों के अर्थ निकलना बंद हो जाते हैं..... तुझपे क्या ही लिखूँ मेरे बनारस.... अपना नीला रंग मुझमें भर दे...... ए बनारस मुझे नीला कर दे....... ©Ashish Kumar Chaudhari
10 Love
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कुछ तो उधार बाकी है....@ आपका मुझ पर....@ वरना यूँ ही नहीं जुड़ते....@ शब्दों के धागे आपसे...@ @#@# ©Ashish Kumar Chaudhari
16 Love
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