अधूरी मोहब्बत
अधूरी मोहब्बत जो की थी क्यों तुमने
तुम्हें क्या खबर है कभी पी थी हमने
खिलाफत में था जो ये अपने जमाना
जमाने से बगावत न की थी क्यों तुमने
अधूरी मोहब्बत ...........
तुम ही ने कहा था कि साथ जियेंगे
तुम ही पर मिटेंगे, तुम ही से बनेंगे
हुए क्या वे वादे जो तुमने किए थे
तुम तो जी भी गए हो हम जी ना सकेंगे
सोचा नहीं मेरे बारे में तुमने
अधूरी मोहब्बत.......
मुझे चुनना था अपनी मंजिल को यूं तो
जो जाती थी तेरे साहिल को यूं तो
अभी हूं मैं राहों में राहें हैं सूनी
मेरा दिल है कहता मिलेंगे हम यूं तो
अधूरी मोहब्बत जो की थी क्यों तुमने
तुम्हें क्या खबर है कभी पी थी हमने ।।
अधूरी मोहब्बत......