White मुस्कान से भरी-भरी हो दिव्यता की रोशनी दमक | हिंदी Poetry

"White मुस्कान से भरी-भरी हो दिव्यता की रोशनी दमक रही चमक रही सृजन स्वरूपा रोहिणी कारुण्य रूप-धारिणी आनंद सत-प्रदायिनी आलोक ही आलोक अब बिखरा हुआ निखरा हुआ नयनों से यूं झरता हुआ अंतर स्वरूपा - हर्षिनी माँ प्रेम गंगा-रूपिणी आलोक दिव्या-रूपिणी अपनत्व की पहचान सी परम्पराओं की वाहिनी संस्कार बीज धारिणी शक्ति-भक्ति प्रवाहिनी आधार प्रेम ज्ञान सी माँ दिव्य-रूपा मानसी ©सुरेश सारस्वत"

 White मुस्कान से भरी-भरी 
हो दिव्यता की रोशनी 
दमक रही चमक रही 
सृजन स्वरूपा रोहिणी 
कारुण्य रूप-धारिणी 
आनंद सत-प्रदायिनी 

आलोक ही आलोक अब  
बिखरा हुआ निखरा हुआ 
नयनों से यूं झरता हुआ 
अंतर स्वरूपा - हर्षिनी
माँ  प्रेम गंगा-रूपिणी
आलोक दिव्या-रूपिणी 

अपनत्व की पहचान सी 
परम्पराओं की वाहिनी 
संस्कार बीज धारिणी
शक्ति-भक्ति प्रवाहिनी
आधार प्रेम ज्ञान सी 
माँ दिव्य-रूपा मानसी

©सुरेश सारस्वत

White मुस्कान से भरी-भरी हो दिव्यता की रोशनी दमक रही चमक रही सृजन स्वरूपा रोहिणी कारुण्य रूप-धारिणी आनंद सत-प्रदायिनी आलोक ही आलोक अब बिखरा हुआ निखरा हुआ नयनों से यूं झरता हुआ अंतर स्वरूपा - हर्षिनी माँ प्रेम गंगा-रूपिणी आलोक दिव्या-रूपिणी अपनत्व की पहचान सी परम्पराओं की वाहिनी संस्कार बीज धारिणी शक्ति-भक्ति प्रवाहिनी आधार प्रेम ज्ञान सी माँ दिव्य-रूपा मानसी ©सुरेश सारस्वत

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