यूं मायूस होता क्यों हैं..! यूं हालात पर रोता क्यो | हिंदी शायरी

"यूं मायूस होता क्यों हैं..! यूं हालात पर रोता क्यों हैं..!! ज़ुल्म होते हैं,तो सेहेता क्यों हैं..! तु खुद बुलंद हो जा,औरों से केहेता क्यों हैं..!! यें तेरा वतन हैं..यें तेरी जमीं हैं..! भीमजी ने तुझे संविधान थमी हैं..!! फ़िर तुझे किस बात की कमी हैं..!! फ़िर तुझे किस बात की कमी हैं..!! ©Ibrahim Khan #SocialJustice #IndianMuslims #Equality #Right2speech"

 यूं मायूस होता क्यों हैं..!
यूं हालात पर रोता क्यों हैं..!!
ज़ुल्म होते हैं,तो सेहेता क्यों हैं..!
तु खुद बुलंद हो जा,औरों से केहेता क्यों हैं..!!
यें तेरा वतन हैं..यें तेरी जमीं हैं..!
भीमजी ने तुझे संविधान थमी हैं..!!
फ़िर तुझे किस बात की कमी हैं..!!
फ़िर तुझे किस बात की कमी हैं..!!

©Ibrahim Khan







#SocialJustice #IndianMuslims
#Equality #Right2speech

यूं मायूस होता क्यों हैं..! यूं हालात पर रोता क्यों हैं..!! ज़ुल्म होते हैं,तो सेहेता क्यों हैं..! तु खुद बुलंद हो जा,औरों से केहेता क्यों हैं..!! यें तेरा वतन हैं..यें तेरी जमीं हैं..! भीमजी ने तुझे संविधान थमी हैं..!! फ़िर तुझे किस बात की कमी हैं..!! फ़िर तुझे किस बात की कमी हैं..!! ©Ibrahim Khan #SocialJustice #IndianMuslims #Equality #Right2speech

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