देखा न तुमने,रुका न मैं कब भी,
न होकर भी, रहुंगा मैं अब भी..!
यें सलाहियत, यें मोहब्बत, यें इंसानियत,
हैं मेरे दोस्त सब भी..!
की उसने नफ़रत मुझसे,
की मैंने मोहब्बत उससे तब भी..!
उसने रोंकना चाहा मुझको,
मेरे जाने से रों पडें उसके लब भी..!
मुस्कुराते रहना, न कभी रुकना,
आयेंगी मेरी याद जब भी..!
"क्या बात हैं इरफ़ान,रुला आया सबको",
यें बोल गया मेरा रब भी..!
© Ibrahim Khan
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